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आरोग्यधारा (Aarogyadhara) Pack of 3

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  पेट दर्द व पेट संबंधी समस्त समस्याओं में—छोटे बच्चे (१से३ वर्ष तक) आधा बूँद शहद के साथ चटाना (एक-एक घंटे के अंतराल पर तीन बार) छोटे बच्चे (३ से ६ वर्ष तक) एक बूँद शहद के साथ चटाना या चीनी/बताशा या पानी के (एक-एक घंटे के अंतराल पर तीन बार) ६ वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बच्चों को २ बूँद तक उचित माध्यम से ३-४ घंटे के अंतराल पर दे सकते हैं। बड़ी आयु के लोग भी ३-४ बूँद तक ग्रहण कर सकते हैं। अंतराल ३-४ घंटे का होना चाहिए। 

  अत्यधिक या असमय भोजन इत्यादि के कारण पेट में जलन, बदहजमी होने की स्थिति में ऊपर बताए गए अनुसार मात्रा ग्रहण कर सकते हैं।y अत्यधिक या असमय भोजन इत्यादि के कारण पेट में जलन, बदहजमी होने की स्थिति में ऊपर बताए गए अनुसार मात्रा ग्रहण कर सकते हैं। 

  किसी कारण से यदि उल्टी या दस्त की शिकायत हो जाए तो भी इसको ग्रहण कर सकते हैं। 

  भोजन के बाद 2-3 बूंद आरोग्यधारा सामान्य पानी में डालकर पीने से अजीर्ण, मंदाग्नि, बादी, बदहजमी और गैस संबंधी समस्याओं में आराम होता है। कम से कम चालीस दिन तक नित्य इसका प्रयोग करें। 

  दस्त लगातार होने की स्थिति में ५-७ बूँद आरोग्यधारा एक चम्मच अदरख के रस के साथ लेने से दस्त में आराम हो जाता है। यह प्रयोग ६ वर्ष से अधिक आयु के लिए ही करें।   

  एक चाय के चम्मच प्याज के रस में दो बूंद आरोग्यधारा डालकर पीने से हैजा में लाभ होता है। 

  दो बूंद आरोग्यधारा ललाट पर मसलने से सिरदर्द में लाभ होता है। 

  दांत या दाढ़ में किसी प्रकार का दर्द होने पर रुई के फाया में १-२ बूँद आरोग्यधारा डालकर दर्द वाले स्थान पर रखने से लाभ होता है। 

  सामान्य पानी में ४-५ बूंद आरोग्यधारा डालकर प्रात: सांय पीने से श्वास, खांसी, दमा और क्षय रोग लाभ होता है। 

  एक चम्मच गाय के मख्खन में आधा चम्मच शहद और तीन बूँद आरोग्यधारा मिलाकर नित्य लेने से शारीरिक कमजोरी में बहुत लाभ होता है। 

  एक चम्मच नीम के तेल में ५ बूंद आरोग्यधारा मिलाकर मालिश करने से सभी प्रकार की खुजली में लाभ होता हैं। 

  आंवले के मुरब्बे में नित्य ३-४ बूंद आरोग्यधारा डालकर खाने से हृदय रोग में राहत मिलती है। 

  जुकाम, सर्दी, इत्यादि में आरोग्यधारा की १-२ बूँद रुई के फाए में डालकर या रुमाल पर डालकर थोड़ी-थोड़ी देर में सूंघते रहें, इससे तत्काल आराम मिलता है। 

  हल्के फुल्के कटने व जलने पर भी इसका प्रयोग तत्काल राहत के लिए कर सकते हैं।   

  इसके अतिरिक्त फेफड़ों में कफ प्रतीत होने पर और श्वास लेने में कठिनाई प्रतीत होने पर आरोग्यधारा के एक १-२ बूंद को गरम पानी में डालकर वाष्प लेने से बहुत अधिक लाभ होता है। 

  मुख से दुर्गंध आना और पायरिया में १-२ बूँद आरोग्यधारा एक कप पानी में डालकर सुबह दोपहर शाम भोजन के पश्चात या जब दुर्गंध आए २ मिनट तक लगातार पानी को मुख में रखकर कुल्ला करें। तत्काल आराम होगा। 

  केमिकल वाले माउथ वॉश के स्थान पर आरोग्यधारा की १-२ बूंद एक कप मानी में डाल कर माउथ वॉश करने से अद्भुत परिणाम मिलेंगे। 

  मुख में छाला होने पर आरोग्यधारा की एक बूँद पान में डालकर प्रयोग करें, या २ मिनट तक इसका २ बूंद एक कप पानी में डाल कर कुल्ला करें, और पेट को ठंढा रखने हेतु २-२ बूँद आरोग्यधारा का दिन में तीन बार पानी,-शहद या बतासे इत्यादि से सेवन करें। 

  हिचकी में १-२ बूँद आरोग्यधारा जीभ में रखकर मुँह बंद करके सूँघने से ४ मिनट में ही लाभ होता है। 

  किट पतंगे जैसे ततैया, बिच्छू, भौरा या मधुमक्खी के काटने के स्थान पर आरोग्यधारा मलने से लाभ होता है। 

  घुटनों, जोड़ों या मांसपेसियों में दर्द में ४-५ बूँद आरोग्यधारा को एक चम्मच वैसलिन या घी में मिलाकर मालिश करने से आराम होता है। 

  फटी विवाई में उक्त पद्धति से तैयार लेप को लगाने से आराम मिलता है। 

  फटे होंठ पर उक्त लेप को लगाने से लाभ होता है और फटी चमड़ी जुड़ जाती है। 

  घमौरी पर एक-दो बूँद आरोग्यधारा हाँथ पर लेकर पानी के साथ मिलाकर त्वचा पर लगा दें तुरंत आराम होगा। 

  एक बूँद आरोग्यधारा हथेली गीला करके गाल पर लगा लें, जलन को समाप्त करेगा, यह दुनिया के किसी भी आफ्टर सैविंग लोशन व क्रीम से अधिक प्रभावकारी है। 

  बच्चों के गुदाद्वार में कीड़ी काटना, यह समस्या छोटे बच्चों को अक्सर रात्रि में होती है, इसके लिए गुदा द्वार में एक बूँद आरोग्यधारा डालने से तुरंत लाभ होता है।   

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  सावधानियाँ

आरोग्यधारा के प्रयोग में कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए- 

१. नवजात शिशु व एक साल से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए। 

२. किसी भी सर्जरी के तुरंत पहले या बाद चिकित्सक परामर्श के बिना नहीं देना चाहिए। 

३. आँख, नाक या कान में नहीं डालना चाहिए। 

४. इसकी अधिक मात्रा से इसका तीखापन नुकसान पहुँचा सकता हैं , अतः बच्चों से इसे दूर रखे। 

५. हमेशा ढक्कन बन्द करके रखें।  

६. यदि किसी कारण से गलत प्रयोग हो गया और जलन होने लगे तो पानी के वाष्प से आरोग्यधारा के जलन प्रभाव को समाप्त कर सकते हैं।